कोरोना महामारी के कारण कई सामुहिक संस्थान बन्द है। वही धार्मिक स्थलों को थोड़ी छूट दिया गया है , लेकिन इसके लिए कई सारे नियम बनाये गए हैं। जिसे कोरोना महामारी से बचाव के लिए पालन करना बहुत जरूरी है। यदि आप इस कोरोना महामारी काल में Jagdamba Sthan Narauli Karauta Patna Bihar Mandir जाने का मन बना रहे हैं तो वहाँ जाने से पहले वहाँ लागू किए गए कुछ नियम के बारे में आपको जरूर जानकारी होना चाहिए। वही Maa Jagdamba Sthan Karauta मंदिर के प्रांगण में नई प्रतिमा की स्थापना करके कई बदलाव भी किये गए है।
फेसबुक पर भर्मण करते समय मुझे एक फोटो दिखा Karauta Jagdamba Sthan Mandir का। हाथ में पूजा सामग्री और नारियल लिए हुए किसी सज्जन ने पोस्ट किया था। पहले तो मुझे लगा कि पुराना पोस्ट होगा , लेकिन जब मैंने पोस्ट करने का तिथि देखा तो वह दो दिन पहले का था। फोटो देखते ही मेरे मन मे भी Jagdamba Sthan Karauta History जाने की इच्छा जाग उठा। पिछले कई महीनों से पूरे देश में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लागू था , इसलिए कही बाहर जा भी नही रहा था। मैंने मन में ही आने वाले मंगलवार को जगदम्बा स्थान मंदिर नरौली करौता जाने का प्लान बना लिया।
मंगलवार को सुबह चार बजे ही मैं जाग गया था। क्योंकि आज मुझे माँ जगदम्बा स्थान मंदिर करौता जाकर सुबह की आरती में शामिल होना था। वहाँ का सुबह की आरती देखने योग्य है। एक बार मुझे भी सुबह की आरती में शामिल होने का सौभाग्य मिला था। सुबह की आरती में शामिल होने से श्रद्धा और भक्ति के प्रति मन का लगाव बढ़ जाता है। जीवन के उतार चढ़ाव में कुछ भी कठिन नही लगता है। अपने काम के प्रति बफादारी और ईमानदारी अपने आप उत्पन्न होने लगता है। जिंदगी को नये तरीके से जीने का एक नया मोड़ मिल जाता है , जो बहुत ही सुखदायक और आरामदेह लगता है। ऐसा लगता है जैसे जिंदगी रिफ्रेश हो गई हो। जिस तरह कम्प्यूटर का सी ड्राइव फॉर्मेट करने के बाद कम्प्यूटर फास्ट चलने लगता है। मुझे जब भी वहाँ जाने का मौका मिलता है मैं कोशिश करता हूँ कि सुबह की आरती में जरूर शामिल रहूँ।
हमारे घर से karauta ke jagdamba sthan मंदिर की दूरी लगभग पाँच , छः किलोमीटर है। इसलिए ज्यादातर मैं वहाँ अपनी बाइक से ही जाता हूँ। स्नान आदि करने के बाद पौने पाँच बज गया। टारगेट था कि सुबह की आरती में शामिल होना है। बाइक से जाते समय बहुत अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे अंधेरा छँट रहा था सड़क किनारे इक्का दुक्का लोग टहल रहे थे। फोर लेन पर चढ़ते ही ठंढी हवा चेहरे को छूकर दोनों कानों के बगल से सायं सायं करते हुए गुजर रहा था। फोर लेन सड़क के किनारे कुछ युवक और युवती दौड़ लगा रहे थे। युवकों के बारे में तो मुझे पता था कि वे सुबह सुबह दौड़ लगाते लेकिन इस इलाके में युवतियों को दौड़ लगाते हुए पहली बार देख रहा था। पहले तो मुझे लगा कि ये आस पास के गाँव की ही होगी लेकिन बाद में पता चला कि ये लोग बी एम पी के जवान है और सालिमपुर थाना में आये हुए हैं। सालिमपुर थाना का भवन निर्माण कार्य चल रहा था, जिसमें जमीन विवाद के कारण बी एम पी के जवान को तैनात किया गया था।
थोड़ी ही देर में जगदम्बा स्थान नरौली करौता मंदिर दिखाई देने लगा। फोर लेन से उतरने के बाद जैसे ही मैंने मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश किया कुछ लोग बाइक को पार्किंग में लगाने की सलाह देने लगे। लेकिन हमेशा की तरह मैं अपनी बाइक को मुख्य मंदिर के गली में लगाना चाहता था इसलिए आगे चलते रहा। लेकिन मुख्य मंदिर के गली में जाने बाले रास्ते पर प्रसासन ने बेरिकेटिंग लगाकर रोक दिया था। पूछने पर पता चला कि मुख्य मंदिर में पूजा करने पर रोक लगा हुआ है। लेकिन दर्शन करने के लिए बारी बारी से जा सकते हैं, इसके लिए आपको मास्क लगाना जरूरी है। मंदिर में घण्टी बजाने पर रोक लगा हुआ है इसके लिए सभी घण्टीओ को चुनरी से ढक कर बांध दिया गया है। जिससे अनजाने में भी भक्त घण्टी नही बजा सकें।
मंदिर के बगल में बने तालाब बाले बाउंड्री की दीवाल पर ही स्थानीय लोगों द्वारा श्रद्धालुओं को नारियल फोड़ने का सलाह दिया जा रहा था। वही कुछ श्रद्धालु दीवाल पर ही नारियल फोड़ रहे थे। लेकिन कई ऐसे लोग जो इस बात से अनजान थे, उन्होंने आते ही पूजा सामग्री और नारियल खरीद लिया और खरीदने के बाद उन्हें पता चला कि मंदिर में प्रवेश वर्जित है तो वे लोग दुकानदारों से उलझते नजर आए। उन्होंने दुकानदारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग पूजा सामग्री खरीदने से पहले नही बताते हैं कि मंदिर में पूजा करने पर रोक लगा हुआ है। वही कुछ भक्तों का मानना है कि जब आ ही गये है तब माता के नाम पर दीवाल पर ही नारियल चढ़ा देते है। हर किसी का अपना अपना सोंच है। !!जय माता दी!!
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